रायपुर :  घने जंगलों की हरियाली, चहचहाते पक्षी, रंगबिरंगी तितलियाँ और बच्चों की उत्साही मुस्कान... कुछ ऐसा ही नज़ारा था, नंदनवन जंगल सफारी में आयोजित तृतीय समर कैंप-2025 का समापन 25 मई को हर्षाेल्लास के साथ हुआ। बच्चों ने इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण का पाठ सीखा और प्रकृति से अपने को आत्मसात् किया।

19 से 25 मई तक चले इस सात दिवसीय समर कैंप में 25 चयनित विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया, जहाँ उन्होंने न केवल प्रकृति को नजदीक से जाना, बल्कि उसके साथ गहरा संवाद भी स्थापित किया। शिविर के समापन अवसर पर नंदनवन जंगल सफारी संचालक थेजस शेखर और सहायक संचालक वाय.के. डहरिया ने सभी प्रतिभागियों को प्रशस्तिपत्र प्रदान कर उनका उत्साहवर्धन किया।

शिविर में बच्चों ने सीखा कि पेड़-पौधों की पहचान करना एक कला है।  पक्षियों की गतिविधियों को वैज्ञानिक रूप से समझना, उन्हें वन्यजीव संरक्षण, पर्यावरण संतुलन, तथा जैव विविधता के महत्व को सहज और रोचक तरीकों से बताया गया। शिक्षण को खेल, भ्रमण और रचनात्मक गतिविधियों के साथ इस तरह जोड़ा गया कि बच्चे स्वयं को ‘प्रकृति के रक्षक‘ समझने लगे।

इस वर्ष समर कैंप की थीम ‘प्रकृति से जोड़ो, पर्यावरण बचाओ‘ रही जिसका उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि बच्चों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक स्थायी चेतना जगाना था। वे अपने आसपास की हरियाली और स्वच्छता को संजोकर रखें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करें।

समापन समारोह में संचालक नंदनवन जंगल सफारी थेजस शेखर ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि वन मंत्री केदार कश्यप के निर्देशानुसार ऐसे समर कैंप का आयोजन किया गया, जिससे बच्चों को न सिर्फ पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाते हैं, बल्कि उन्हें हरित भारत के निर्माण में सहभागी भी बनाते हैं। उन्होंने कहा कि नंदनवन जंगल सफारी का यह प्रयास न केवल बच्चों के लिए एक रोमांच से भरपूर रहा। साथ ही उन्हें जीवनभर के लिए प्रकृति का सच्चा मित्र भी बना गया। भविष्य में ऐसे और भी शिविरों की योजना बन रही है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ प्रकृति से जुड़कर एक बेहतर कल की नींव रख सकें और प्रकृति को आत्मसात् कर  पर्यावरण का संरक्षण कर सकें।