नई दिल्ली: दिल्ली की निचली अदालतों में 10 मई को लोक अदालत का आयोजन किया गया. इस दौरान 1,40,165 मामले निपटाए गए और 1217.60 करोड़ रुपए के दावों का निस्तारण किया गया. इस दौरान ट्रैफिक चालान, चेक बाउंस, मोटर वाहन दुर्घटना दावा, बैंक वसूली, श्रम विवाद इत्यादि से जुड़े मामले निपटाए गए. लोक अदालत का आयोजन दिल्ली हाईकोर्ट समेत दिल्ली की सभी सातों जिला न्यायालय परिसरों में किया गया था.

दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सदस्य सचिव राजीव बंसल के मुताबिक ये आयोजन, सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो पारंपरिक सीमाओं से आगे जाकर हमारे देश में विवाद समाधान की प्रणाली को पुनर्परिभाषित करता है. राजीव बंसल के मुताबिक, लोक अदालतें मामलों के त्वरित निपटान के लिए जानी जाती हैं, जिससे न्यायालयों पर लंबित मामलों का भार कम होता है. इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय लोक अदालत की सबसे बड़ी विशेषता इसकी लागत प्रभावशीलता है, जहां सौहार्दपूर्ण समाधान के माध्यम से समय और आर्थिक संसाधनों की बचत होती है.

समान, न्यायपूर्ण और सभी के लिए सुलभ न्याय प्रणाली: 

राजीव बंसल ने बताया कि दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस विभु बाखरू हैं. जस्टिस बाखरु के कुशल मार्गदर्शन में प्राधिकरण लगातार वैकल्पिक विवाद समाधान तकनीकों को बढ़ावा दे रहा है, चाहे वह पूर्व संस्थागत स्तर हो अथवा न्यायिक प्रक्रिया के दौरान. राजीव बंसल ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत एक विशिष्ट मंच है जो सुलह और सौहार्दपूर्ण समाधान को बढ़ावा देता है और एक ऐसी न्याय प्रणाली की स्थापना की ओर अग्रसर है जो समान, न्यायपूर्ण और सभी के लिए सुलभ हो.

निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी सुनिश्चित करने की पहल: 

उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों, उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लोगों एवं एसिड अटैक पीड़ितों को विभिन्न न्यायालय परिसरों में लोक अदालत पीठों में एसोसिएट सदस्य के रूप में नियुक्त कर निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी सुनिश्चित की गई. इसके सफल आयोजन के लिए जनता की सहायता हेतु कड़कड़डूमा न्यायालय परिसर में विशेष हेल्प डेस्क स्थापित किए गए. विशेष कर महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए, ताकि वे अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त कर सकें एवं उपलब्ध सेवाओं के संबंध में मार्गदर्शन ले सकें.

महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों का रखा गया विशेष ध्यान: 

इसके अतिरिक्त, एक चिकित्सा शिविर का आयोजन कर नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच, परामर्श एवं आवश्यक चिकित्सीय सेवाएं प्रदान की गईं, जिससे जनकल्याण को बढ़ावा मिला. इस दौरान मोटर वाहन दुर्घटना दावा का एक मामला में रोहिणी कोर्ट द्वारा 66 लाख रुपए की राशि में सुलझाया गया, जो बीमा कंपनी द्वारा मोटर दुर्घटना पीड़ित के आश्रितों को प्रदान की जाएगी. इसके अलावा कड़कड़डूमा कोर्ट में 2014 से लंबित एक सबसे पुराने मोटर वाहन दुर्घटना दावा का मामला भी निपटाया गया. दिल्ली हाईकोर्ट में भी किया गया था, जहां 18 मामलों का निपटारा किया गया, जिसमें लगभग 1 करोड़ 31 लाख रुपए का दावा निस्तारित किया गया.

ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में भी लोक अदालत का आयोजन: 

इस दौरान जिला उपभोक्ता फोरम में आयोजित लोक अदालतों में 156 मामलों का निपटारा किया गया, जिनमें 3.67 करोड़ रुपए के दावों का निपटारा किया गया. इस दौरान ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में भी लोक अदालत का आयोजन किया गया, जहां 72 मामलों का निपटारा किया गया. लोक अदालत में बिजली से जुड़े मामलों के लिए भी लोक अदालत आयोजित किया गया, जहां 1035 मामलों का निपटारा हुआ जिनमें 4.63 करोड़ के दावों का निस्तारण किया गया. कुल मिलाकर 1,40,165 मामले निपटाए गए और निपटान राशि 1217.60 करोड़ थी.