दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता की अध्यक्षता में बुधवार (21) को दिल्ली विधानसभा की सामान्य प्रयोजन समिति की बैठक आयोजित हुई, जिसमें सर्वसम्मति से एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया गया. इस प्रस्ताव के माध्यम से भारत के तीन महान राष्ट्रीय नायकों वीर विनायक दामोदर सावरकर, महर्षि दयानंद सरस्वती और पंडित मदन मोहन मालवीय की स्मृति में उनकी तस्वीरें दिल्ली विधानसभा परिसर में लगाई जाएंगी.

यह निर्णय इन महान नायकों के भारत के स्वतंत्रता संग्राम, सामाजिक सुधार और शैक्षणिक जागरण में दिए गए अद्वितीय योगदान को सम्मानित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह पहल न केवल उनके प्रेरणादायी विचारों और कार्यों को स्थायी बनाने की दिशा में है, बल्कि यह विधानसभा की उस परंपरा का भी अनुसरण है जिसके अंतर्गत स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तस्वीरें विधानसभा परिसर में स्थापित की गई हैं.

‘आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत’

इस प्रस्ताव को सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य अभय वर्मा द्वारा प्रस्तुत किया गया. उन्होंने कहा कि ये तीनों महापुरुष राष्ट्र निर्माण, सामाजिक चेतना और शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले अग्रदूत रहे हैं. ऐसे में उनकी तस्वीरों को विधानसभा परिसर में स्थापित करना आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होगा साथ ही देशभक्ति, सेवा और लोकतांत्रिक मूल्यों को भी प्रोत्साहित करेगा.

विधानसभा परिसर में लगेगी सावरकर की तस्वीर

सर्वसम्मति से पारित इस प्रस्ताव में वीर सावरकर की तस्वीर विधानसभा परिसर में स्थापित किए जाने की विशेष अनुशंसा की गई है. समिति ने इस तथ्य को दोहराया कि स्वतंत्रता संग्राम में वीर सावरकर के योगदान को देशभर में सम्मान पूर्वक याद किया जाता है और उनका समावेश विधान सभा की भित्ति-चित्र परंपरा में अत्यंत उपयुक्त एवं गौरवपूर्ण होगा.

‘तीन राष्ट्रीय नायकों को श्रद्धांजलि’

सामान्य प्रयोजन समिति की बैठक में उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, अभय वर्मा, चौधरी जुबैर अहमद, मनोज कुमार शौकीन, राजकुमार भाटिया, तिलक राम गुप्ता और वीर सिंह धिंगान मौजूद थे. इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली विधानसभा देश की महान विभूतियों की स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए संकल्पबद्ध है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय न केवल इन तीन राष्ट्रीय नायकों के प्रति श्रद्धांजलि है, बल्कि यह दिल्लीवासियों में राष्ट्र गौरव, सांस्कृतिक चेतना और लोकतांत्रिक उत्तरदायित्व की भावना को और सुदृढ़ करेगा.