'लाडली बहना' ने सालभर में बनवाई 8 राज्यों की सरकार

'लाडली बहना' ने सालभर में बनवाई 8 राज्यों की सरकार
89' स्ट्राइक रेट; 1.5 लाख करोड़ की स्कीम्स, फायदा देने वाली पार्टियों के 33' विधायक बढ़े, केजरीवाल भी अब इसी राह पर
पॉलिटिकल पार्टियों को जीत का नया और अचूक फॉर्मूला मिल गया है। इसमें हर 10 में से 9 बार जीत की गारंटी है। फॉर्मूला है- चुनाव से पहले महिलाओं के लिए 'लाडली बहनाÓ जैसी कैश स्कीम्स। महाराष्ट्र चुनाव ताजा उदाहरण है। 5 महीने पहले लोकसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन को 48 में से 18, यानी 37' सीटें मिली थीं। 'माझी लाडकी बहिनÓ योजना लागू कर गठबंधन ने विधानसभा चुनाव में 288 में से 230, यानी 80' सीटें जीत लीं। एक साल, यानी नवंबर 2023 से नवंबर 2024 के बीच 13 राज्यों में चुनाव हुए हैं। इनमें 9 में 'लाडली बहना' जैसी स्कीम लागू की गई या वादा किया गया। इनमें से 8 राज्यों में योजना कारगर रही। स्ट्राइक रेट 89'। लोकसभा चुनाव पहले दिल्ली सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। 8 राज्यों राह पर चलते हुए केजरीवाल भी अब लाड़ली बहन वाली स्कीम लेकर आए हैं। किसी भी राज्य में सत्ता की चाबी महिलाओं के हाथ में है। मध्यप्रदेश में ऐन चुनाव के पहले लागू की गई लाड़ली बहना योजना ने सबसे पहले ये साबित किया। मध्यप्रदेश के चुनाव नतीजे ऐसी नज़ीर बने, जिसके बाद असम से लेकर कर्नाटक, महाराष्ट्र से लेकर तमिलनाडु और ओडिशा तक महिलाओं की कैश ट्रांसफर स्कीम के जरिए पार्टियां सत्ता की राह मजबूत करती रही हैं। ताज़ा मामला दिल्ली का है, जहां आम आदमी पार्टी ने चुनाव से ठीक दो महीने पहले मुख्यमंत्री महिला सम्मानयोजना लांच कर दी।
मध्यप्रदेश: चुनाव से 240 दिन पहले 6 किस्तें पहुंचीं, नतीजों में 'प्रो इन्कम्बेंसी' दिखी
महिलाओं को हर महीने कैश देने की स्कीम की चर्चा मध्य प्रदेश से ही शुरू हुई। 15 मार्च 2023 को चुनाव से 8 महीने पहले शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना लॉन्च किया। 10 जून 2023 को इसकी पहली किस्त जारी हुई थी। चुनाव से पहले कुल 6 किस्तें प्रदेश की लाड़ली बहनों के खाते में पहुंच गई थी। मध्य प्रदेश सरकार सालाना इस योजना पर 19 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा रकम खर्च करती है। ये खर्च मध्य प्रदेश के कुल बजट का करीब 5' है।लाड़ली योजना के लागू होने के बाद हुए विधानसभा चुनाव में राज्य में रिकॉर्ड 76' से ज्यादा महिलाओं ने वोट किया था।
2018 विधानसभा चुनाव की तुलना में 31 लाख ज्यादा महिलाओं ने वोट किए। चुनावी सर्वे कराने वाली पोलस्टार कंसल्टिंग फर्म के मुताबिक मध्य प्रदेश चुनाव में कुल महिलाओं के वोट में से करीब 50' महिलाओं ने बीजेपी को वोट किया। बीजेपी को मिलने वाला वोट कांग्रेस की तुलना में 10' ज्यादा था। दिल्ली यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर अदिति नारायण पासवान के मुताबिक कास्ट और रिलीजन की तरह अब वोटिंग पैटर्न जेंडर के आधार पर शिफ्ट हो गया है। जब आप महिलाओं को कुछ सुविधाएं देते हैं, तो वे घर से निकलकर वोट डालने आती हैं। पहले महिलाओं को उनके पति बताते थे कि उन्हें किसे वोट करना है। 2023 में 15 साल के एंटी इन्कम्बेंसी के बावजूद मध्य प्रदेश में बीजेपी के जीतने की सबसे बड़ी वजह लाड़ली बहना योजना है।
छत्तीसगढ़: चुनाव से बीजेपी ने महिलाओं को1000 रुपए देने का वादा किया, पलट गया खेल
2023 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कमोबेश सभी एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार बनने की संभावना जताई गई थी लेकिन नतीजे आए तो बीजेपी ने बाजी पलट दी। दरअसल, बीजेपी ने चुनाव से पहले महिलाओं के खाते में सीधे 1000 रुपए प्रतिमाह भेजने का वादा किया। इसके लिए फॉर्म भी भरवाने शुरू कर दिए। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल जब तक इस वादे की गंभीरता को समझ पाते देर हो चुकी थी। बघेल ने भी दोबारा से कांग्रेस सरकार बनने पर महिलाओं को सालाना 15000 देने का ऐलान किया था। साथ ही महिलाओं के खाते में डायरेक्ट पैसा भेजने के लिए गृह लक्ष्मी योजना शुरू करने का ऐलान किया। महिलाओं ने देखा कि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में पैसे मिलने शुरू हो चुके हैं, तो बीजेपी के वादे पर ही भरोसा किया।राज्य की करीब 76' महिलाओं ने वोटिंग में हिस्सा लिया। ये 2018 की तुलना में 11 लाख ज्यादा था। महिलाओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक रहा।चुनाव के बाद 10 मार्च 2024 को पीएम नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना लॉन्च किया। 70 लाख महिलाओं के खाते में प्रतिमाह 1000 रुपए भेजना शुरू किया गया।अर्थशास्त्री अभय तिलक एक इंटरव्यू में बताते हैं कि छत्तीसगढ़ हो या मध्य प्रदेश इन राज्यों में महिलाओं की एक बड़ी संख्या ऐसी है, जिसके पास पैसे कमाने का कोई जरिया नहीं है। परिवार में उनके साथ कभी भी अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था, लेकिन ऐसी योजनाओं से इन महिलाओं को कुछ पैसे मिल रहे हैं और उनके परिवारों में उनकी स्थिति सुधर रही है। यही वजह है कि महिलाएं उनके खाते में सीधे पैसा भेजने वाले राजनीतिक दलों को वोट करने के लिए घर से निकलकर पोलिंग बूथ तक जा रही हैं।
महाराष्ट्र: चुनाव से पहले 7500 खाते में पहुंचे, महायुति को 80 सीटें मिलीं
2024 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र का महायुति गठबंधन सिर्फ 37' सीटें जीत सका। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के एक करीबी नेता बताते हैं कि 'साहेब' ने कहा हम भी मध्य प्रदेश जैसी लाड़ली बहना योजना लाएंगे। वित्त मंत्री अजित पवार बोले- खजाने में पैसा नहीं है। इसके बावजूद शिंदे अड़े रहे। उन्होंने माझी लाडकी बहिन योजना का ऐलान कर दिया। 28 जून 2024 को योजना लॉन्च हुई। 21 से 65 साल की महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपए दिए जाते हैं। सरकार ने इसके लिए 46,000 करोड़ रुपए का बजट रखा है। इसमें 200 करोड़ रुपए मार्केटिंग के लिए हैं। इसमें राज्य बजट का लगभग 7.6' खर्च हो रहा है। महाराष्ट्र की 2.34 करोड़ महिलाओं के बैंक खाते में हर महीने 1500 रुपए आ रहे हैं। जुलाई 2024 से अब तक कुल पांच किस्तें आ चुकी हैं। यानी चुनाव से पहले ही महिलाओं के खातों में 7500 रुपए पहुंच गए। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी खुले मंच से स्वीकार करते हैं कि इस योजना ने खेल पलटा है। एकनाथ शिंदे तो अपने आप को लाड़ला भाई भी कहते हैं।दिव्य मराठी के सीनियर जर्नलिस्ट मनोज कुलकर्णी बताते हैं कि ये योजना महायुति ने बहुत अच्छे से प्लान की थी। इसका फॉर्म बेहद सिंपल था। न पैन नंबर भरना था, न कोई फॉर्म 16 जैसा कुछ। बस फॉर्म भरने वाली महिला को खुद से ये घोषणा करनी थी कि उनके परिवार की सालाना आय ढाई लाख रुपए से कम है। 6' बढ़े हुए महिला वोटरों ने महाराष्ट्र में खेल बदल दिया। वरिष्ठ पत्रकार विनोद जैतमहाल कहते हैंमुंबई और आसपास के जिलों में महिला मतदाताओं में बढ़ोतरी हुई है। अगर हम 2019 से तुलना करें तो ये आंकड़ा मुंबई में 7' बढ़ा हुआ है। ठाणे 11', पालघर में 9' महिला वोटर में बढ़ोतरी हुई है।
झारखंड: वोटिंग से एक रात पहले चौथी किस्त आई, सोरेन की सत्ता में वापसी
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने रक्षाबंधन के एक दिन बाद यानी 20 अगस्त 2024 को मंइयां सम्मान योजना शुरू की थी। ये योजना वोटिंग से 85 दिन पहले शुरू की गई थी। इसके तहत 21 साल से 50 साल तक की महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपए देने का वादा किया गया। सरकार ने इसका बजट 15 हजार करोड़ रुपए रखा है जो राज्य बजट का करीब 12' है। इस योजना के तहत महिलाओं के खातों में 31 अगस्त को पहली किस्त आ गई थी। वहीं चुनाव से पहले चार किस्तें जा चुकी थीं। चुनाव प्रचार के दौरान सीएम हेमंत सोरेन ने ये राशि बढ़ाकर 2500 रुपए करने की घोषणा कर दी।13 और 20 नवंबर को हुई वोटिंग में कुल 67.74' वोटिंग हुई। महिला वोटर्स का परसेंटेज 70' था। अगर 2019 की बात करें तो 67' महिलाओं ने वोट किया था। 81 कुल विधानसभा सीटों में से 68 सीटों पर महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा है। वरिष्ठ पत्रकार सुधीर पाल कहते हैं कि बीजेपी ने ज्यादा देने का वादा करके इस योजना को काटने की कोशिश की थी, लेकिन महिलाओं के खाते में चार किस्तें आ चुकी थीं। यहां वादे से ज्यादा महिलाओं ने प्रमाण पर भरोसा किया। दस-दस रुपयों की तंगी झेलने वाली आदिवासी महिलाओं के खाते में सीधे हर महीने हजार रुपए आने लगे तो उनका सरकार पर भरोसा बढ़ गया। रोजगार के मसले पर हेमंत सरकार फेल हो चुकी थी। लोगों की इनकम के सोर्स कम थे। ऐसे में हर महीने घर बैठे बिना कुछ किए एक हजार रुपए आना बड़ी बात थी। इस योजना ने महिलाओं का भरोसा जीत लिया।
राजस्थान: अशोक गहलोत के वादे पर ऐतबार नहीं, कारगर नहीं हुई स्कीम..
नवंबर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से एक महीने पहले अक्टूबर 2023 में अशोक गहलोत ने राजस्थान के झुंझुनू में गृह लक्ष्मी गारंटी के तहत परिवार की महिला मुखिया को साल में 10 हजार रुपए देने का वादा किया। उन्होंने कहा कि ये राशि दो से तीन किश्तों में दी जाएगी। कांग्रेस ने इस वादे का चुनाव प्रचार के दौरान खूब इस्तेमाल किया। महिलाओं के खाते में पैसे भेजने के सिर्फ वादे किए। चुनाव से पहले महिलाओं के खाते में पैसा नहीं पहुंच पाया। बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में अशोक गहलोत के वादे के बरक्श महिलाओं और लड़कियों से जुड़ी तीन मुख्य योजनाएं लाडो प्रोत्साहन योजना, लखपति दीदी योजना और पीएम मातृ वंदना योजना शुरू करने का वादा की। महिलाओं के वोटिंग प्रतिशत में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई, राज्य में कांग्रेस की सरकार गिर गईं। पॉलिटिकल एक्सपर्ट अनिल भारद्वाज का कहना है कि राजस्थान में अशोक गहलोत ने महिलाओं को हर साल 10 हजार रुपए देने का वादा किया था। हालांकि, महिलाओं को लगा कि सत्ता में रहते हुए जो सरकार महिलाओं के लिए ये योजना नहीं लागू कर पाई वो चुनाव जीतने के बाद लागू करेगी इसकी गारंटी नहीं है। ऐसे में महिलाओं ने खुलकर कांग्रेस का साथ नहीं दिया और राजस्थान में सरकार पलट गई। इसी तरह हरियाणा, तेलंगाना, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में महिलाओं से जुड़ी कैश स्कीम एक बड़ा फैक्टर साबित हुई।
महिलाओं कीकैश स्कीम जीत का फॉर्मूला क्यों है?
चार पॉइंट्स में समझते हैं....
1. पैसों की इतनी तंगी कि कैश हजार-दो हजार भी बड़ी राहत
कोविड महामारी के बाद से भारतीय परिवारों की माली हालत बिगड़ी है। केंद्र सरकार करीब 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रही है। प्रोविडेंड फंड के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 4.45 करोड़ पीएफ क्लेम अप्रूव किए गए हैं, जो पिछले साल से 7.8' ज्यादा हैं। आमतौर पर कोई रास्ता न बचने पर ही लोग पीएफ से पैसा निकालते हैं। जून में जारी आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि लोगों की सेविंग्स में भी गिरावट आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2022-23 में कुल घरेलू बचत जीडीपी के 18.4' पर आ गई है, जो औसतन 20' होती थी। इलेक्शन एनालिस्ट अमिताभ तिवारी कहते हैं, 'देश में प्रति व्यक्ति आय करीब एक लाख रुपए सालाना है। यानी करीब 8500 रुपए महीने। अगर किसी परिवार में महिलाओं को दो हजार रुपए महीने मिल रहे हैं तो ये उस परिवार की कमाई में 25' की ग्रोथ है। इसके लिए न तो कुछ करना है और न ही किसी को घूस देनी है। एक सिंपल फॉर्म भरना है, जिसके बाद सीधे खाते में पैसे आने लगते हैं।' दिल्ली की अम्बेडकर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर अभय कुमार दुबे बताते हैं,1500 रुपए महीने का मतलब हुआ रोजाना महज 50 रुपए। इससे पता चलता है कि भारत के ज्यादातर वोटर्स कितने गरीब हैं कि इतनी छोटी रकम से भी वे राहत महसूस करते हैं।
2. सालों से अनदेखी झेल रही महिलाएं एक नया वोटबैंक बनी
ूमलोकनीति-सीएसडीएस की विभा अत्री ने भारत में महिला वोटर्स ने रिसर्च की। उनके मुताबिक, महिला वोटर्स ने अपने वोट की ताकत को समझना और विश्वास करना शुरू कर दिया है। 69' महिला वोटर्स का मानना है कि वोटिंग देश में चीजों को चलाने के तरीके में बदलाव लाती है। दिसंबर 2023 में एसबीआई-रिसर्च की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2047 तक महिलाओं की वोटिंग में 55' बढ़त हो सकती है। वहीं पुरुषों में 45' की गिरावट आ सकती है। लोकसभा चुनाव 2024 में महिलाओं का वोटिंग पर्सेंटेज 65.8' रहा। लोकसभा चुनाव 2024 में महिलाओं का वोटिंग पर्सेंटेज 65.8' रहा।अमिताभ तिवारी मानते हैं कि ऐसी योजनाओं के कारण महिलाओं को बढ़ावा मिला है। वे कहते हैं,लंबे समय से महिलाओं को अनदेखा किया जा रहा था, आज उन्हें अहमियत मिली है। अब महिलाएं परिवारों में अपनी बात मजबूत से कह पा रही हैं। इससे महिलाओं का वोटिंग पैटर्न भी बदला है।
3. बीजेपी ने 'महिला वोटबैंक' को पहचाना, इससे सत्ता विरोधी रुझान को मात दी
बीते एक साल में जिन 9 राज्यों में 'लाडली बहना' जैसा फैक्टर था, उनमें से 7 राज्यों में बीजेपी या एनडीए को फायदा मिला। केंद्र से लेकर राज्यों तक बीजेपी ने महिलाओं को पहचान देने के कई कदम उठाए। जुलाई 2024 में वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने अपने बजट में महिलाओं और बच्चियों की मदद करने वाली योजनाओं के लिए 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा देने का ऐलान किया।मोदी सरकार 3.0 ने पहले 100 दिनों में 11 लाख नई 'लखपति दीदियों' को सर्टिफिकेट दिए। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, एक करोड़ से ज्यादा 'लखपति दीदियां' अब हर साल एक लाख रुपए से ज्यादा कमा रही हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 70' से ज्यादा घर महिलाओं को दिए गए हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत उभरती बिजनेसविमेंस को 30 करोड़ रुपए लोन दिया गया है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 10 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को मुफ्त गैस सिलेंडर दिया गया है। साथ ही हायर एजुकेशन में महिलाओं के रजिस्ट्रेशन में 28' के बढ़त हुई है।अगस्त 2019 में बीजेपी की मोदी सरकार ने 'तीन तलाक' को खत्म करने के लिए कानून बनाया। ऐसा कर पीएम मोदी ने मुस्लिम महिलाओं को बीजेपी की ओर लामबंद करने की कोशिश की।सितंबर 2023 में मोदी सरकार ने महिला आरक्षण बिल पास किया। इसके तहत लोकसभा और विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गईं। यानी 543 सीटों वाली लोकसभा में 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। महिलाएं एक वोटबैंक बन चुकी हैं। ये ऐसा वोटबैंक है, जिसके पैटर्न को कोई नहीं पकड़ पा रहा। ये चुपचाप बूथ में जाती हैं और अपनी सरकार को चुनती हैं। उसे प्रचंड बहुमत दिलाती हैं।चुनावों में महिलाओं पर फोकस्ड स्कीम के गेमचेंजर होने पर अभय दुबे कहते हैं,यह दौर 'एंटी-इनकम्बेंसी' नहीं, बल्कि 'प्रो-इनकम्बेंसी' का है। सत्ता में कदम जमा चुकी पार्टियों का तख्ता पलटना मुश्किल होता जा रहा है। महाराष्ट्र- झारखंड में यही हुआ, हालांकि यह मॉडल हमेशा ही कारगर नहीं होता है।
4. आगे क्या: जब तक योजनाएं नई, तभी तक पार्टियों को फायदा
अमिताभ तिवारी बताते हैं,भारत में आज इतनी असमानता बढ़ी है कि ऐसी योजनाएं लानी पड़ रही हैं। ऐसा करने से पार्टियां अगर सरकार बना पा रही हैं तो वे ऐसा आगे भी कर सकती है। पार्टियों ने सीधा फॉर्मूला बना लिया है कि पैसा बांटने की योजनाएं लाओ और चुनाव जीतो।अभय कुमार दुबे कहते हैं, 'कैश ट्रांसफर जैसी योजनाएं जब तक नई होती है, तब तक वोटों में तब्दील होती रहती हैं, क्योंकि लाभार्थी मदद देने वाली सरकारी पार्टी का आभार मानते हैं। जब योजना पुरानी हो जाती है तो वे उस तत्परता से बदले में वोट नहीं देते। लोकसभा चुनाव और 2022 में यूपी चुनाव में बीजेपी इस मुश्किल का सामना कर चुकी है। '
केजरीवाल भी लाए 'लाडली बहना' वाली स्कीम, महिलाओं को हर महीने 1000 रुपए
लोकसभा चुनाव पहले दिल्ली सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की राह पर चलते हुए केजरीवाल भी लाड़ली बहन वाली स्कीम लेकर आए हैं। दरअसल दिल्ली सरकार का 10वां बजट पेश करते हुए दिल्ली की वित्त मंत्री आतिशी ने मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना का ऐलान किया है। आतिशी ने कहा है कि मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना के तहत 18 साल से ऊपर की हर महिला को हर महीने 1 हजार रुपये दिए जाने का ऐलान किया है।आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बुजुर्गों के लिए संजीवनी योजना का ऐलान किया। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले केजरीवाल ने घोषणा की कि 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों का मुफ्त इलाज होगा।केजरीवाल ने साफ किया कि ये इलाज सभी बुजुर्गों के लिए मुफ्त होगा, चाहे वो किसी भी कैटेगरी में आते हों।इससे पहले केजरीवाल बुजुर्गों के लिए 2500 रुपए पेंशन, ऑटोवालों के लिए 5 लाख तक का बीमा और महिलाओं के लिए 1000 रुपए महीने की घोषणा कर चुके हैं। दिल्ली विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को खत्म हो रहा है। अगले दो महीने में चुनाव हो सकते हैं। पिछला विधानसभा चुनाव फरवरी 2020 में हुआ था, जिसमें आम आदमी पार्टी ने पूर्ण बहुमत हासिल किया था और 70 में से 62 सीटें जीती थीं।
फ्री की हो गई शिकायत ...नोटिस पर क्लेश ...
ठंड के दिनों में दिल्ली की सियासत का तापमान हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। दिल्ली सरकार ने अरविंद केजरीवाल की दो बड़ी चुनावी घोषणाओं पर ब्रेक लगा दिया है। सरकार के दो विभागों ने अखबारों में विज्ञापन छपवाकर कहा कि राज्य में महिला सम्मान और संजीवनी जैसी कोई योजना नहीं है।पहला इश्तिहार महिला और बाल विकास विभाग ने महिला सम्मान योजना को लेकर जारी किया है। इसमें कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने ऐसा कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। दूसरा विज्ञापन दिल्ली के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने संजीवनी योजना को लेकर जारी किया। इसमें कहा गया है कि सरकार ऐसी कोई स्कीम नहीं चला रही है। लोगों को कार्ड बनाने के नाम पर निजी जानकारी न देने की सलाह दी है।आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने कहा, ये केजरीवाल की गारंटी है कि चुनाव जीतने के बाद 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों को प्राइवेट अस्पताल में निशुल्क इलाज मिलेगा। 2100 रुपए हर महिला को उनके खाते में दिए जाएंगे। इसमें गलत क्या है? भाजपा ने दबाव बनाकर जिन अधिकारियों से ये नोटिस निकलवाया है उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। हम अपनी योजना जारी रखेंगे। ताजा विवाद कथित तौर पर नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में नोट बांटने का है। मुख्यमंत्री आतिशी और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा के पूर्व सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा पर नोट बांटने का आरोप मढ़ा है।